पं जगदीश महाराज का जन्म 12 अप्रैल 1968 को राजस्थान के जिला दौसा ,गढ़ हिम्मत सिंह गांव मे कर्मकांडी ब्राह्मण परिवार में हुआ । आपके पिताजी का नाम स्वर्गीय श्री रामचरण शर्मा एवं माताजी का नाम श्रीमती सोमा देवी है।
REACH US :-
69/70 गणेश नगर गोविंदपुरी श्याम वाटिका सोडाला जयपुर राजस्थान 302019
कई बार लोगों की उलझन होती है कि हमारा जन्म समय या तिथि सही ज्ञात नहीं है। ऐसे में ज्योतिष संबंधी फलादेश कैसे किए जाएं। ज्योतिष में इसका सटीक जवाब प्रश्न कुण्डली है। पिछले कुछ सालों में अस्पतालों में शिशु जन्म की स्थितियां बढ़ने के कारण जन्म समय कमोबेश सही मिलने लगे हैं। पर अब भी जन्म समय को लेकर कई तरह की उलझनें बनी हुई है।
आमतौर पर शिशु के गर्भ से बाहर आने को ही जन्म समय माना जाता है। इसके अलावा माता से नाल के कटने या पहली सांस लेने का भी जन्म समय लेने के मत देखने को मिलते हैं। ऐसे में प्रश्न कुण्डली (Prashna Kundli) ऐसा जवाब है जिससे जन्म तिथि और जन्म समय को नजरअंदाज किया जा सकता है।
प्रश्न कुण्डली वास्तव में समय विशेष की एक कुण्डली है जो उस समय बनाई जाती है, जिस समय जातक प्रश्न पूछता है। यानि जातक द्वारा पूछे गए प्रश्न का ही भविष्य देखने का प्रयास किया जाता है। इसमें सवाल कुछ भी हो सकता है। आमतौर पर तात्कालिक समस्या ही सवाल होती है। ऐसे में समस्या समाधान का जवाब देने के लिए प्रश्न कुण्डली सर्वाधिक उपयुक्त तरीका है।
ध्यान रखने की बात यह है, कि प्रश्न के सामने आते ही उसकी कुण्डली बना ली जाए। इससे समय के फेर की समस्या नहीं रहती। इसके साथ ही जातक की मूल कुण्डली भी मिल जाए और वह प्रश्न कुण्डली को इको करती हो तो समस्या का हल ढूंढना और भी आसान हो जाता है।
कई बार जातक जो मूल कुण्डली लेकर आता है, वह भी संदेह के घेरे में होती है। ओमेने (जो कि संकेतों का विज्ञान है) बताता है कि जातक का ज्योतिषी के पास आने का समय और जातक की कुण्डली दोनों आमतौर पर एक-दूसरे के पूरक होते हैं। ऐसे में प्रश्न कुण्डली बना लेना फलादेश के सही होने की गारंटी को बढ़ा देता है।
प्रश्न कुण्डली के साथ सबसे बड़ी समस्या यही है कि जातक के सवाल का सही नहीं होना। ज्योतिष की जिन पुस्तकों में प्रश्नों के सवाल देने की विधियां दी गई हैं उन्हीं में छद्म सवालों से बचने के तरीके भी बताए गए हैं। इसका पहला नियम यह है कि ज्योतिषी को टैस्ट करने के लिए पूछे गए सवालों का जवाब कभी मत दो।
ऐसा इसलिए कि ओमेने के सिद्धांत के अनुसार छद्म सवाल का कोई उत्तर नहीं होता। जातक का सवाल सही नहीं होने पर प्रश्न और कुण्डली एक-दूसरे के पूरक नहीं बन पाते हैं। ऐसे में प्रश्न कुण्डली बनाने के साथ ही ज्योतिषी को प्रश्न के स्वभाव का प्रारंभिक अनुमान भी कर लेना चाहिए। इससे प्रश्न में बदलाव की संभावना कम होती है।ओर जातक का विश्लेषण आसान हो जाता है तो दूसरी ओर भूतकाल स्पष्ट करने के बजाय भविष्य कथन में अधिक ध्यान लगाया जा सकता है।